काल गर्ल बैब स्टोरी भाग 07
उसने चाय बना दी थी दोनों ही नीचे चटाई पर बैठकर चाय कि चुस्कियों लें रहें थें व एक दूसरे को निहार रहे थे कुछ देर बाद विनय कुमार ने कहा था कि...
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उसने चाय बना दी थी दोनों ही नीचे चटाई पर बैठकर चाय कि चुस्कियों लें रहें थें व एक दूसरे को निहार रहे थे कुछ देर बाद विनय कुमार ने कहा था कि...
बंग्ले में नाती के जन्म दिवस पर भव्य आयोजन किया गया था शहर के जाने माने सम्मानित रहीश हाथों में गुलदस्ता भेंट लेकर सपरिवार सहित आ रहें थें ...
ठंड का मौसम था लोग घरों के अंदर अलाव जलाकर ताप रहे थे कुछ तो विस्तर में ही कम्बल में लिपटे हुए थे पर ऐसे ठंडे मौसम में बच्चे कहां पीछे रहने ...
वह एक वर्षांत कि रात्रि थी मेघ गर्जन करते हुए कड़कती बिजली के साथ घनघोर वर्षा कर रहे थे ऐसे ही रात्रि में परेश होटल के कमरे में एक युवा शादी...
सांध्य का समय था खटिया पर रोग ग्रस्त बूड़ा आदमी लेटा हुआ था वह लगातार ख़ास रहा था पानी लेकर आने वाली उस बूढ़े कि अर्धांगिनी थी दो घूंट पानी...
घर दामाद बनना हर किसी के बस बस कि बात नहीं दिल से, दिमाग़, से, मजबूत होना पड़ता है फिर,कभी कभी अपमान भी झेलना पड़ता है वह भी साले,या,सास, ...
<> अर्ध रात्रि का समय आसमान में तारे टिमटिमाते हुए अपनी आलोकित आभा से शीतलता बिखेर रहे थे ऐसे ही बेला में कोरोनावायरस के कठिन समय में ...
सांध्य का समय था पंछी टोलियां बनाकर आपस में बात चीत करते हुए पंख फड़फड़ाते हुए अपने अपने घोंसले कि और जा रहें थें दूर कहीं पहाड़ पर सूर्य दे...
तुम कहां हो? कहां नहीं हों ? दोनों अनंत काल से चले आ रहें शाश्वत प़शन है इनके उत्तर भी अनंत काल से शाश्वत हैं। प़भु के बगैर होना तो दूर कल...
तारों के धूमिल प़कास में आकाश पूर्णिमा का इंतजार कर रहा था उसी समय अमावस्या आईं सदा कि भाती मुस्कुराई बोले गले में बाहें डाल मेरे कारण तुम ...
तेरे सांवले सलोने गाल उन पर लाल गुलाल। गुलाबी चेहरा उलझे बाल नजरे तेरी बनाती है जाल जाने क्यों आत्मा बेचारी लिए मन कि पिचकारी सदियों से देख...
अंजलि आईने के सामने खड़ी होकर अपने रूप यौवन को देखकर इतरा रही थी माथे पर आई लटों को कभी इधर करती कभी उधर कभी भोहो पर छोटे से ब्रश से कोई क़ी...
चाल निराली आली तोरी और निराली बोली तोरी कैश निराले फैलें कारे कारे चेहरे के चहुं ओर है सारे बने फिरत है धन सावन के। नयन निराले कजरारे से बड...
लिखना पड़ना जानना समझना याद रखना फिर उस पर अमल करना टेड़ा सवाल है हम लिख सकते हैं हम पड़ सकतें हैं समझ सकते हैं पर अमल करने वाले बात पीढ़ी ...
अरे ओ विधाता अरे ओ दाता अरे ओ मेरे जीवन के श्रेष्ठ अनमोल रत्न जरा सुन क्या कह रहा मेरा यह मन कल तेरी अचानक बगैर किसी आभास के एक अनजानी अनदेख...
प़भु तेरी प़ेम भरी मुस्कान से तेरी प़ेम से भरी जवान से में हृदय से धन्य हो गया चाहें जब चाहे जहां सुन्दर सुहावने स्वप्न में खो गया यदि तू न...
हाथ पांव का अभाव इन झाड़ो को हैं सता रहा अपने मिट जाने का नव भाव सता रहा तब आस्तिक हो सबके सब प़ाथना करने लगे। प्रार्थना खाली नहीं जातीं य...
दूर धुंधली धुंधली पहाड़ी उसको चूमता आलिंगन करता आसमान। कोई कहता मुझसे उस पहाड़ी पर बैठी आत्मा लगा रही तुम जैसा अनुमान। इससे एक आवाज उठती चु...
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं है ज़िन्दगी बहुत कुछ भी हैं जिंदगी जिंदगी जो प्यार बन के मस्ती जगाती हैं। ज़िन्दगी कभी गली में कभी डगर में कभी मुहल्ल...
कुछ भी नहीं यहां जिसे कह दूं यह हमारा है सोचा था कभी दिल है मेरा आज वह भी तुम्हारा हैं। औरों का दिया हुआ नाम नहीं लगता यह प्यारा है। नफ़रत ...