लिखना पड़ना जानना समझना याद रखना फिर उस पर अमल करना टेड़ा सवाल है हम लिख सकते हैं हम पड़ सकतें हैं समझ सकते हैं पर अमल करने वाले बात पीढ़ी दर पीढ़ी उपेक्षा कि शिकार हैं इससे क्या लिखना … Continue Reading →
जब कभी हवा के साथ सरसराहट के साथ मेरे बदन को दुलारती है जाने ऐसा क्यों लगता यह तेरा सिर्फ तेरा संदेश सुनाती है तेरी सांसों कि खुशबू हवा में आ आत्मा को नवगीत सुनाती है मेरे मायूस चेहरे को… Continue Reading →
अरे ओ विधाता अरे ओ दाता अरे ओ मेरे जीवन के श्रेष्ठ अनमोल रत्न जरा सुन क्या कह रहा मेरा यह मन कल तेरी अचानक बगैर किसी आभास के एक अनजानी अनदेखी अनसुनी हृदय को तार तार कर झनझना देने… Continue Reading →
प़भु तेरी प़ेम भरी मुस्कान से तेरी प़ेम से भरी जवान से में हृदय से धन्य हो गया चाहें जब चाहे जहां सुन्दर सुहावने स्वप्न में खो गया यदि तू नहीं होता ये तेरा स्नेह नही होता कब का हार… Continue Reading →
हाथ पांव का अभाव इन झाड़ो को हैं सता रहा अपने मिट जाने का नव भाव सता रहा तब आस्तिक हो सबके सब प़ाथना करने लगे। प्रार्थना खाली नहीं जातीं यह सब कहने लगे आवश्यकता से जूझता उसी समय कुनडवा… Continue Reading →
दूर धुंधली धुंधली पहाड़ी उसको चूमता आलिंगन करता आसमान। कोई कहता मुझसे उस पहाड़ी पर बैठी आत्मा लगा रही तुम जैसा अनुमान। इससे एक आवाज उठती चुपचाप अपने आप से कहतीं अपनी कल्पना पर कर न लेना अभिमान सारा जग… Continue Reading →
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं है ज़िन्दगी बहुत कुछ भी हैं जिंदगी जिंदगी जो प्यार बन के मस्ती जगाती हैं। ज़िन्दगी कभी गली में कभी डगर में कभी मुहल्ले में कभी शहर में कभी अपनों के बीच कभी परायों के बीच… Continue Reading →
कुछ भी नहीं यहां जिसे कह दूं यह हमारा है सोचा था कभी दिल है मेरा आज वह भी तुम्हारा हैं। औरों का दिया हुआ नाम नहीं लगता यह प्यारा है। नफ़रत है मुझे उससे अंहकार का जो सहारा हैं।… Continue Reading →
मन्दिर रोज जाता रोज रोज दर्शन करता दिन हो या फिर रात जब समय मिलता जितने देबी देवता दर्शन देते मे अपलक देखता आनंदित हो अपने आपको न जाने कितना सौभाग्य शाली समझा करता और आज जब मन्दिर से दूर… Continue Reading →
तुम सुनो हम सुनें उसे भी सुनाये सुन सुन कर हम गहरे और गहरे में जाए उतरे अपने आप में झांके अपने आप में सुने अपने आप कि शायद वह सुनना सबसे कठीन साबित हो जैसे पक्की सड़क से घाटियों… Continue Reading →
यूं तो देशभर में हर सप्ताह हर महीने तीज त्यौहार का उत्सव मनाने का भरपूर अवसर रहता है अलग अलग धर्म के अनुयाई अपनी हैसियत अनुसार उत्सव मनाते हैं परन्तु अब तलाक उत्सव कि तारीख़ भी कैलेंडर में फिक्स कर… Continue Reading →
सांध्यकालीन समय था वातावरण में हल्का हल्का अंधेरा छा रहा था पंछी टोलियां के साथ आपस में कोई गाना गा कर या फिर यूं कहें कि संगीत की कोई धुन अलाप कर पंखों को फेला कर अपने अपने घरों को… Continue Reading →
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