कागजी पहलवान


सांध्य का समय था पंछी टोलियां बनाकर आपस में बात चीत करते हुए पंख फड़फड़ाते हुए अपने अपने घोंसले कि और जा रहें थें दूर कहीं पहाड़ पर सूर्य देव कि आखरी किरण अपनी आभा बिखेर रही थी ऐसे ही समय में कागजी पहलवान अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से गांव आ रहा था चूंकि उन दिनों गांव के लिए पक्की सड़क नहीं थी सकरी सी गली थी उसी गली से गांव के जानवर जैसे कि गाय भैंस बकरी बैलगाड़ी ट्रेक्टर के लिए यहीं गली ही थी तभी तो कागजी पहलवान को संध्या समय कि ऐसी बेला में बुलेट चलाने में परेशानी आ रही थी वह कभी जोर जोर होरन बजाता तब कभी बुलेट ऐक और करके खड़ा हो जाता तभी ऐक चरवाहे ने कहा लगता है कि पहलवान कोई मेहमान आए है 

हां हां भाई ससुराल से आए है पहलवान ने मूछ पर ताव देकर जबाब दिया था दरअसल बुलेट मोटरसाइकिल के पीछे कि सीट पर सुन्दर सजीला नौजवान बैठा था ।

हां हां भैया भौजी के तब तो भाई होंगे ही ही ही कर के हंसने लगा था  खैर कागजी पहलवान जैसे तैसे गांव के नजदीक पहुंच कर शराब कि दुकान पर रूक गया था बुलेट मोटरसाइकिल को खड़ा कर वह काउंटर पर पहुंच गया था 

कहां से आना हो रहा है पहलवान सेल्समैन ने पूछा था 

रेलवे स्टेशन से 

लगता है कि कोई मेहमान आए है 

जी ससुराल से 

अच्छा अच्छा साले साहब है वह भी खी खी खी कर हंसने लगा था फिर बोला पहलवान कितनी बोतल दूं 

बस ऐक ही रम देना रम पीने से नामर्द भी मर्द बन जाता है कागजी पहलवान मूंछ ऐठ कर बोला था ।

पहलवान लगता है कि आज भाभीजी कि खैर नहीं पलंग तोड़ प्यार होगा फिर खुद ही ही ही हंसने लगा था ।

कागजी पहलवान चिकन शराब के साथ घर पहुंच गया था पहुंचते ही अजी सुनती हों तुम्हारे गांव से मेहमान आए हैं मिसेज पहलवान ने घूंघट हटा कर मुस्कुरा कर मेहमान का स्वागत किया था मिसेज पहलवान बला कि खूबसूरत थी पतली कमर लम्बी ग्रीवा उन्नत कठोर बछ कंटीली आंखें गोरी चिट्टी कुल मिलाकर अप्सराओं जैसी खुबसूरती थी गांव में सबसे खूबसूरत महिलाओं में से थी मेहमान को देखकर उनका मुख कमल के फूल जैसा खिल उठा था बैठिए न अच्छा घर में सब कुशल मंगल से तो हैं ऐक ही सांस में बहुत सारे सवाल पूछ लिए थें ।

मिसेज पहलवान चिकन तल रही थी मसालें कि भीनी-भीनी खुशबू से आस पास के घर भी महक रहें थे और उधर कागजी पहलवान मेहमान के साथ दो लार्ज पैग गले से पेट में उतार चुका था सिगरेट सुलगाकर उसने अपनी पहलवानी के किस्से सुनाने लगा था जैसे कि फलां गांव का पहलवान जिसका दूर दूर तक नाम था अजी ऐक बार अखाड़े में मेरा उससे आमने-सामने झगड़ा हो गया तब मैंने ऐक ही दांव में उसे चित कर दिया था अजी धोबी पछाड़ में तो मास्टर हूं अच्छों अच्छों को धूल चटा देता हूं अजी रोज कसरत करता हूं पांच सो दंड बैठक लगाता हूं भाई देशी गाय का पांच लीटर दूध कच्चा ही गटक जाता हुं अच्छा विश्वास नहीं हो रहा क्या तब अपनी बहिन से पूछ लिजिए ।

मेहमान ने सालीन तरीके से कहा था देखिए वह मेरी सगी बहन नहीं है हां गांव के रिश्ते से जरूर लगती है मेरी दीदी कि खास सहेली हैं इसलिए दीदी जैसी ही है दीदी के कहने से ही में आया था और हा मुझे आपकी पहलवानी पर पूरा भरोसा है भाई क्यों नहीं देखो तो आप का लम्बा चौड़ा बदन बल खाती भुजाऐं चौड़ी छाती खुद ही वयान कर रही हैं ।

कागजी पहलवान अपनी संपत्ति का और पहलवानी कि डीगे हांक रहा और मेहमान भी तारीफें पर तारीफ कर रहा था साथ ही रम शराब के पैग दोनों ही बराबर गटक रहें थें इसी बीच मिसेज पहलवान चपाती के साथ चिकन करी कि कहाडी लेकर आ गई थी उन्होंने टेबिल पर सलीके से तीन थालियों में बराबर बराबर परोश दिया था फिर हंसकर कहा था आप लोग भोजन किजिए देखिए मौसम खराब हो रहा है मेघ गर्जन करते हुए आ रहें हैं शायद बारिश होने वाली है और हा खराब मौसम में कब बिजली कटौती हो पता नहीं इसलिए भोजन कर के सारी रात बात चीत करते रहिएगा ठीक है मेहमान कि और देखकर अर्थ भरे स्वर में कहा था।

हा हा क्यों नहीं भाई तुम्हारे मायके से हैं तुम्हारी सहेली का भाई है खूब सारी रात बतियाना सारे गांव कि खबर ले लेना कौन सी लड़की अपने आशिक के साथ भाग गई या किस के घर में सास बहू का झगड़ा हुआ ........

कागजी पहलवान ने बोतल पर सरसरी निगाह डाली थी फिर खुद ही बड़बड़ा कर अरे यह तो खत्म हो गई है कोई बात नहीं मेरे पास ऐक अददा और रखा हुआ है उठकर अलमारी में से लेकर आए थे फिर दोनों ने वह अददा कि शराब भी गटक ली थी कुछ देर बाद कागजी पहलवान खाना खाकर सौफे पर ही लुढ़क गए थे और उनकी नाक से सीटी बजने लगी थी ।

आसमान काले काले बादलों से भर गया था तेज बारिश होने लगी थी साथ ही बिजली भी कड़कने लगी थी उसकी गर्जन से बाहर बरगद के पेड़ के पत्ते कांपने लगे थे मुहल्ले के आवारा कुत्ते छुपने के लिए जगह खोज रहे थे कुछ तो आपस में ही झगड़ रहे थे शायद ऐक दूसरे कि जगह का अतिक्रमण कर रहे थे ऐसे सुहाने मौसम में नये युवा जोड़े जिनका इसी साल व्याह हुआं था वह प्यार करने में मशगूल हो गए थे ।

कुछ देर बाद कागजी पहलवान दबे पांव बैडरूम कि खिड़की के पास खड़ा हो गया था खिड़की के सीसों पर पर्दा नहीं डला था जिसके अंदर गर्जन करती बिजली का प्रकाश आर पार जा रहा था और बेडरूम के अंदर का सारा दृश्य कुछ पल के लिए दिखाई दे जाता था उस दृश्य को देखकर कागजी पहलवान को अभूतपूर्व आंनद मिल रहा था उस दृश्य को देखकर उसे असीम शांति मिल रही थी उस दृश्य को देखकर उसे परमानंद मिल रहा था वह औट में खड़ा होकर अपनी मूंछों पर ताव दे रहा था और एकाग्र चित्त होकर बेडरूम के अंदर कि आवाजे सुनने कि कोशिश कर रहा था वह मिली जुली आवाजें जैसे कोई धुन गुनगुनाने लगी थी वह मिली जुली आवाजें जैसे कोई मल्हार धुन या गीत गा रही थीं दरअसल मिसेज पहलवान मेहमान के साथ रतिक्रिया में डूब कर चरम सुख के लिए संघर्षरत थी ।

तीन दिन बाद मेहमान जैसे आया था बैसे ही कागजी पहलवान बुलेट मोटरसाइकिल से शहर स्टेशन छोड़ने गया था रास्ते में जगह-जगह लोगों ने टोक कर कहां जा रहे हैं पहलवान 

पहलवान :- ससुराल से मेहमान आए थे उन्हें छोड़ने जा रहा हूं 

अच्छा अच्छा तब तो जरूर साले साहब होंगे ऐक दो लोगों ने प्रत्युत्तर में कहा था ।

हा भाई हां मेहमान रेलगाड़ी में सवार हो गया था कागजी पहलवान ने कहा था कि आते रहना भैया अपना ही घर समझना 

जी जी बिल्कुल जीजा जी 

ऐक साल बाद कागजी पहलवान कि गोद में बालक बैठा हुआ था जो कि अपने नन्हे नन्हे हाथों से पहलवान कि मूंछ को मरोड़ने कि कोशिश कर रहा था बालक कि किलकारियां गूंज से पहलवान को असीम शांति मिल रही थी अभूतपूर्व आंनद मिल रहा था परमानंद मिल रहा था पत्नी कि और देखकर कहा देखो देखो मेरा नन्हा राजकुमार मेरे जैसा पहलवान बनेगा दूर दूर तक मेरा नाम रोशन करेगा बिल्कुल मेरे पर गया हैं अरे गया है या नहीं कुछ तो कहों 

मिसेज पहलवान ने हंसकर कहा जी बिल्कुल आप पर गया हैं ।

कहानी समाप्त यह कहानी आप को कैसे लगी कमेंट कर राय दिजियेगा ।।







Kakakikalamse.com

Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

Post a Comment

Previous Post Next Post