अपनी पहचान

 सूर्य दिशा कि पहचान

क्या

सूरज के उदय होने से हैं

सूर्य नही निकलेगा

न ही सुबह कि लालमा रहती

तब क्या चांद का राज ही रह जाता

क्या सूर्य दिशा का पता ही नहीं रहता

प़शन है आपसे आपके अतीत से

आपके वर्तमान से

आपके सुनहरे भविष्य से 

जिसे आप संजोए हुए है 

सुखद स्वस्थ भविष्य कि कल्पना

संजोए हुए है ।

लेकिन आप दिशा हीन है 

मतलब क्या करें कैसे करें 

तय नहीं कर पा रहे हैं 

तब मैं आपको बताऊं 

उसका उत्तर प्रकृति के पास हैं 

जैसे कि पर्वत, उसके ऊपर 

लहलहाते विशाल पेड़ 

सागौन , और अन्य 

उनके आस पास कुछ छोटे से फूलों

के पौधे जिन्हें कहते हैं जंगली 

जिस के फूलों से मधुमक्खी लें 

जाती है पराग 

और हमें देती है मीठी मीठी सी शहद 

कया उस मधुमक्खी को दिशा का 

पता हैं 

जी नहीं 

वह तो अपने अतीत को 

जिस छतता में उससे जन्म लिया 

जिस समूह ने उसे पाला 

उसे तो उसका पता हैं 

वह सूर्य दिशा को नहीं जानती 

फिर भी वापस घर पहुंच जाती है ।

क्या आपको पता है कि नदी नाले 

जंगल पहाड़ को काटकर अपने जन्म

दाता समुद्र से मिलकर 

अपने आप को आत्मसात कर लेते हैं 

लाखो मील दूर से ही वह दिशा हीन होकर 

अपने अतीत के पास पहुंच जाते हैं ।

क्या आपको पता है कि 

हमारी पहचान क्या है 

क्या पैसे से है 

क्या लग्जरी कारों से हैं 

क्या अच्छे बंगले से है 

क्या बैंक बैलेंस नौकर चाकर से हैं 

क्या फैक्ट्री से हैं ।

जी नहीं तब आप अपनी पहचान से 

दिशा हीन हैं 

आपकों सीखना पड़ेगा सूर्य और 

चांद से 

जिन्हें खुद नहीं पता कि कब कहां भटक रहें हैं 

लेकिन अमावस्या , पूर्णमासी को 

ऐक दूसरे के नजदीक आकर 

गले मिल जाते हैं ।

क्यों कि उन्हें अपने अतीत का 

वर्तमान का भविष्य का 

पता हैं  इसलिए उनका भला हैं ।

भाइयों बहनों माता काका चाचा 

ताउ ताई सभी से कहता हूं 

अपने अतीत को जैसे कि 

जिस माता पिता ने जन्म दिया है 

उसे मत भूलों 

जहां तुम्हारा विवाह हुआ जो

कि सांस ससुर है 

दुल्हन के माता-पिता जैसे हैं 

दुल्हे के सास ससुर भी माता पिता जैसे ही हैं 

उन्हें मत भूलों 

परिवार से मिल जुलकर रहो 

तभी तुम्हें अपनी पहचान मिलेगी ।।




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Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

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