गीत गाता चल अकेला

 लो मेरे मीत हो गया

यह जहां तुम्हारा

छोड़ा यह झौपड़ी तुम्हारा

जो बना था बसेरा हमारा

में न लोटू अब यहां बस

दुआ देना ही फर्ज तुम्हारा

सबकुछ लूट गया अब क्या हैं न्यारा न्यारा

किसे दूं दोष यहां दोषी हैं मन हमारा

मेरे जज़्बात मेरा प्यार मेरे हालात ने मारा हैं 

यह हृदय तेरा था

बेगानो ने लूटा सारा

पग पग जमाने ने मुझे ही तो लूटा सारा

हर पग जमाने ने मुझे ही तो दुत्कारा 

रोज आया तेरे दर पर 

खामोशी ने मुझे फटकारा

मिलन से हमारे बस

दुश्मन होगा जग सारा

इससे में चलता हूं

इसी में भला हमरा खामोशी या मौत

बस मेरा बनेगा सहारा 

गंगा सा गीत गुनगुनाते

भी न जग सुनें तुम्हारा।

आज से कहां सदियों से

बस तुम्हारा इंतज़ार है 

एक तू है जो मुझे मिटाने को तैयार हैं

तेरी राह देख देख

नयन ये सरमा जाते हैं

मन ये कुन्दन करता

हम पागल से नजर आते हैं

जानें क्या क्या त्याग कर

तुझे में पुकार रहा

तेरे सिर्फ़ तेरे लिए

जग को ललकार रहा।

तुम आओगे कब 

यही गर पता होता 

इन्तजार में ही तब

जानें कितना मज़ा होता

तेरे न मिलने से

निर्धन नजर आता हूं

इसी से अपनें दोस्तों कि उपेक्षा भर पाता हूं

फिर भी उन्हीं कि राह देख

बस जीवन जी लेता हूं

उन्हीं के संग बैठ नये स्वप्न

संजो लेता हूं 

तेरे दिए सुखों का

इन्हें हिसाब जब बताता हु

संदेह भरी नजरों से 

कुछ पृशन करते पाता हूं

जब कभी गम कि दास्तां गुनगुनाता हूं

तब शब्दों से भरी

संवेदना को पाता हूं 

पर अनेक दिनों तक जब

तू जब नजर नहीं आता

पल भर के मिलन को

दिल क्यों छटपटाता है।

बे मिलते थोड़ा सुनते 

कर्मों से बंधे चल देते

हम हैं यादों के कंटीले

जंगल में भटक लेते

न जाने किन किन का कृपा पात्र बना फिरता हूं

ऐक तू है कि तेरे

तेवर से डरता हूं

कैसे नजर मिलाता

था डर रुसवाई का

कैसे तुझ से मिलता डर था जग हंसाई का।

अरे तुझी से मिलने को अपना पता बदल रहा

जहां न पहुंचे अपने दुश्मन

हों न जहां पराया कोई

फटे पुराने से कपड़ों में

पूछें पता हमारा कोई

लूले लंगड़ों कि बैसाखी बन

चलने को तैयार हुआ हूं

अंधों कि मैं नजर बनूं

इससे तो होशियार हुआ हूं

नहीं चाहता में कोलाहल

गूंगो कि आवाज बनूं मैं

और भटकते भूखे प्यासे

इन्सान से प्यार करूं मैं।

नहीं चाहिए हमें तुम्हारे 

झूठी कसमें झूठे वादे

हमें चाहिए गांव हमारा जहां के हम हैं साहब जादे 

मुझे नहीं विश्वास तुम्हारा

तुम कुछ तो बतला दो 

मेरे जैसे भटके नर को

कोई अलग राह दिखा दो 

राह दिखाना दूर तुम्हें

तुम खुद भूल फिरते हो

खुद पर नहीं विश्वास तुम्हें 

जग कि बातें से डरते हो।

मधु मेरे जीवन से मत जाना

सांस सांस में तुम बस जाना

तुझे खोजता ही आया था

इससे में खुद ही सरमाया था

पहले था खुद ही अंजाना

तुझे देख कर ही कुछ जाना

सिखाया तुमने दिल को लगाना

मधु मेरे जीवन से मत जाना दिल पर तुमने अधिकार जमाया

तब था तुमने यह समझाया

भागो दूर नहीं कुछ कहना

जग में विलग हमें ही रहना

जग का काम रहा झगड़ते रहना

मधु मेरे जीवन से मत जाना।।

फिर भी तुमने हमें बताया

प्यार में किसी ने क्या पाया

सबके जीवन में दुःख सहना

इसे नहीं विश्वास समझना

क्या नहीं है विश्वास समझना

क्या है सत्य मुझे बताना

मधु मेरे जीवन से मत जाना।

जब प्यार आत्मा से होता है

तब यहां सभी को सुख देता है

पर कोई यहां जब दिल खोता है

दुसरा यहां क्यों रोता है

बस यही समझा जाना 

मधु मेरे जीवन से मत जाना।।







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Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

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