Header Ads

Header ADS

मेरा गांव कविता

 मेरे गांव तुम जब आओगे

तब वस गांव को देखते रह जाओगे

फिर तुम्हें गांव से लगे पहाड़ पर लें चलुंगा

वहां से दिखाई देंगे हरे भरे खेत

सामने कल कल करती वहती नदी 

दूसरी ओर भरा सरोवर 

हमारे गांव के छोटे छोटे कच्चे पक्के घर 

उनके आस पास घूमते फटे कपड़े में घूमते 

मेहनत कश नर 

सुबह जब आप हमारे साथ घूमने जाओगे 

तब उषा कि लाली 

दिल खोलकर आप का स्वागत करेगी

गांव की गरीबी कबाड़ पिछड़ा पन

अ शिक्षा तुमसे सवाल करेगी 

दिन रात श्रम को समर्पित फिर भी

अभावों के बीच गुजरती जिदंगी 

तुम्हें सोचने को बाध्य करेगी ।




No comments

Powered by Blogger.