Header Ads

Header ADS

दादीजी का चश्मा

 जब जब दादी ने अपने चश्मे को नाक पर रखा तब परिवार में बड़ा भूचाल आया था उस भूचाल को दादी जी ने अपनी सूझबूझ से हमेशा हमेशा के लिए परिवार से वाहर कर दिया था ठीक हैं कुछ साल से दादी जी ने अपना चश्मा नाक पर नहीं रखा था इसलिए सारा परिवार खुश था परन्तु अभी कुछ दिनों से उनहोंने फिर से चश्मे को नाक के मध्य भाग में रखकर सभी परिवार के सदस्यों को देखना चालु कर दिया था तब से परिवार मे भय का माहोल था हालाकि दादी कि उम़ सौ साल के पास थी इस उम़ में भी दादी जी से सारा परिवार डरता था कारण यह था उनका कठोर अनुसासन जैसे कि भोर के समय पर सभी परिवार के सदस्यों को नित्य कर्म से निर्मित होकर बाहर टहलना ताजी हवा फेफड़ों मे जमा करना और फिर चाय के पहले दूध में बासी रोटी खाना फिर चाय या काफी पीना नहाने के बाद घर के छोटे से मंदिर में सभी को ईश्वर कि आरती करना फिर नाश्ता कर के परिवार के सभी सदस्य अपने से बड़े के पैर छूकर घर से काम पर जाना उनका यह आदेश उनके दोनों पुत्र उनकी पत्नी पिछले चालीश साल से मान रहे थे बडा बेटा अभी 75 साल में था छोटा तीन साल छोटा फिर उनके बच्चे कुलमिलाकर परिवार में बीस सदस्य थे सभी सदस्य पढे लिखे थे दोनो बेटे बहुऐ सरकार के उच्च पदो से रिटायर होकर भगवान् का भजन कर रहे थे दोनों बेटो के भी दो दो बेटे वेटिया थी जो सरकारी नोकरी मे अधिकारी थे बडे बेटे कि बेटे कि छोटी वेटी के स्वभाव मे दादी जी को कुछ बदलाव नजर आ रहा था उन्होंने दो तीन वार नातिन के मोबाइल को चैक किया था उसमें उन्हे कुछ भी खराब गतिविधि नजर नहीं आ रहीं थी हालाकि दादी जी के एकाएक मोबाइल पर इनकम टैक्स जैसा छापे मारने पर नातिन डर गयी थी लेकिन वह निश्चित हो गई थी कारण उसके मोबाइल में सारी फाऐले जिसका खोलने का पासवर्ड उसे पता था इसलिए वह जायदा चिंता में

ऐक दिन नातिन कालेज से जल्दी आ गयी थी दादी जी वाहर बरामदे मे झूले पर बैठी थी नातिन के उदास चेहरे को देखकर उन्होने अपने चश्मे को नाक के मध्य भाग पर रखकर प्यार से बुला कर झूले पर बेठा कर क्या उस लड़के से झगड़ा हो गया उसने तेरा इसतेमाल कर के तुझे छोड़ दिया तब नातिन फफक फफक कर रो रही थी कह रही थी हा दादी उसने मेरा आत्मिक शारिरिक शौषण किया मे उस पर बहुत विशवास रखती थी उसने मुझे धौका दिया मे मर जाउंगी दादी में जिंदगी से हार गयी ।

तब दादी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा विटिया तेरी भी लगती थी तू भी यौन सुख चाहती थी तभी तू उसके पास गयी मे उन मे से नहीं जो लडके पर सारा दोष मढकर बेटी का बचाव करे ठीक हे गलती दोनों कि थी इस उम़ मे यह सब होता हैं विटिया अपने आप को सम्हाल मन से मजबूत बनकर कुछ ऐसा कर जो कि तेरा परिवार तुझ पर गर्व करे आज मे किसी जिले कि कलेक्टर के पद पर हूं काश सभी को ऐसी दादी दे ।

 

दादी

No comments

Powered by Blogger.