कोरोना बनाम डर परोसती मिडिया


 जी हां फिर से मिडिया  डर परोस रही है कोई भी न्यूज़ चैनल देखिए सुट बूट पहने एंकर गला फाड़कर चीख चीखकर सावधान सावधान अलाप रहें हैं मज़े कि बात तों यह हैं कि दूसरों को माक्स सेनेटाइजर का कहते हैं परन्तु खुद पर अमल नहीं करते हैं कारण शायद उनकि कोरोनावायरस से जान पहचान हैं खैर यह उनका व्यक्तिगत मामला है परन्तु हमें माक्स सेनेटाइजर का उपयोग ज़रूर करना है ।

कुछ चैनल पड़ोसी देश के अस्पताल में तड़पते हुए  मरीजों कि तस्वीरें विडीयो दिखा रहे हैं कुछ चैनल तो शमशान घाट पर लम्बी लम्बी कतारें दिखा रहे हैं कुछ चैनल वाले तो अपने स्वजनों कि अस्थियां लेने वाले कि कतारें दिखा रहे हैं कुछ चैनल वाले लम्बे लम्बे व्याख्यान देकर कोरोनावायरस फिर से कैसे आया उन देशों कि सरकार  कहा चूंकि उन्हें क्या करना था उन्होंने क्या किया ... उनके हेल्थ मिनिस्टर लापरवाह थें वहां कि वैक्सीन फेल हो गई आदि आदि 

कुछ चेनल पर तों डेबिट हों रहीं हैं स्पेशलिस्ट अपना अपना अथाह ज्ञान का दान कर देखने वालीं आंखों को धन्य कर रहें हैं बचाव, उपचार के तरीके बता रहे हैं कुछ तो हमें क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए कितना खाना चाहिए कुछ तों गुलेरी का काढ़ा बनाकर अभी से रख देना चाहिए ।

यह रही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कि बात अब आते हैं प़िट मिडिया आम जन जब सुबह कि चाय के साथ अखबारों के पन्नों को पलटते हैं तब सब से पहले अलसाई आंखों का सामना पहले पेज पर कोरोनावायरस कि फोटो से हो जाता है मन मस्तिष्क में वह तस्वीर समां जाती है उसी के साथ लोकडाउन का डर मन में समां जाता है परिवार के मुखिया के सामने हंसते खेलते बच्चों,व अन्य सदस्यों के चेहरे आ जाते हैं वह राशन पानी ,गैस टंकी ,के लिए चिंतित हों जाता है भविष्य कि भयावह तस्वीरें उसे डराने लगती है ।

मज़ेदार बात यह है कि मिडिया के उद्घोषक डेविट में शामिल होने वाले सज्जन कहीं पर भी सकारात्मक सोच का प्रदर्शन नहीं करते कोई भी जानकार जनसंख्या वृद्धि, दर, प़कृति का दोहन ईश्वर कि सत्ता पर अनावश्यक प्रवेश ,कम होते जंगल , विस्तार लेते हुए शहर जो खेती, किसानी कि जमीन को सुरसा जैसे मुंह फाड़कर लील रहें हैं उस पर अपना विचार व्यक्त नहीं करते पर्यावरण को कैसे दुरस्त किया जाए नहीं कहते मेरे ख्याल से यह बाजार बाद हैं हर चैनल प्रिंट मीडिया इससे अछूती नहीं है यहां पर हर चीज फिक्स है कितना बोलना हैं कितना नही बोलना हैं किस विषय पर बोलना हैं सामने वाले सज्जन को बिरोध में क्या तर्क रखना हैं सब पहले से ही फिक्स है ऐसी आम जनता के बीच चर्चा है मेरे ख्याल से यह चर्चा भी अपनी जगह सही हैं ।

अब आते हैं कोरोनावायरस पर तब हमें उसे हल्के पन से नहीं देखना हैं मास्क,दो गज कि दूरी, सेनेटाइजर का उपयोग करना है स्वास्थ्य विभाग कि जारी गाइड लाइन का पालन करना हैं अपने बच्चों के मन में पोजिटिव ऊर्जा भरना हैं फिर कहते हैं कि मन से हारे हार है मन से जीते जीत अर्थात मन ही हमें हार देता है मन ही जीत मन ही हमें बीमार बनाता है मन ही स्वस्थ मन ही हमें छोटी मोटी बीमारी होने पर भी डाक्टर के पास पहुंचा देता है मन ही हमें अरे यह तो थकावट थी आराम करूंगा ठीक हों जाउंगा फिर स्वस्थ होना पक्का है मेरे ऐक परिचित मित्र हैं उन्हें शुगर जैसी लाईलाज बीमारी ने चपेट में लें लिया था ऐक समय डाक्टर साहब के परामर्श से ,हाई डोज दबा, इंजेक्शन के, इस्तेमाल से उन्होंने विस्तर पकड़ लिया था वह तिल तिल कर मर रहे थे किस्मत से कोई गांव का गरीब आदिवासी उनके पास कुछ काम से आया था उसने उन्हें देखा सब कुछ समझा फिर उसने कहा अरे आप तो बीमार हो ही नहीं भला यह शक्कर कि भी कोई बीमारी होती है अरे आपके पलंग के सिरहाने कि टेबिल पर तों छोटा मोटा मेडिकल स्टोर रखा है लगता है दुकान खोलना है लेकिन में नहीं खोलने दूंगा उस आदमी ने सभी दवाएं, इंजेक्शन,उठा कर बंगला के बाहर गटर के चैंबर में डाल दिए थे उसके ईस व्यवहार से परिवार के सभी सदस्य आश्चर्य चकित रह गए थे थोड़ी देर बाद वह उनके बेटे के साथ बाजार गया था जहां से उसने अलसी खरीद कर दी थी व नीम के पत्तों कि ताजी ताजी कपोलों को लाया था अलसी के दानों को हर समय अपनी जेब में रखना था थोड़ी थोड़ी देर बाद कुछ दानों को चबाकर पेट के अंदर डालने थें जब उस आदिवासी से पूछा कि अलसी के क्या गुण है उसने कहा कि अलसी पेट को साफ करतीं हैं पेट से ही सभी रोग उत्पन्न होते हैं जब पेट साफ रहेगा आंतें साफ रहेंगी सभी रोग दूर भागेंगे फिर नीम नीम कि छाल पत्तों में बहुत सारे एंटीवायरस गुड़ हैं वह अपने आप में बड़ी औषधि है  खैर अब सभी दवाएं इंजेक्शन तों गटर में समां गए थे मजबूर होकर अलसी दानों का उपयोग किया नीम के पत्तों को पानी में भिगो कर खाया इनके सेवन से शरीर में ताकत आई थी मित्र ने विस्तर छोड़ दिया था लाठी के सहारे सुबह टहलना चालू किया फिर लाठी छूट गई थी लम्बा टहलना जारी रखा आज वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं यह बात बीस साल पहले कि हैं।

हां तों फिर से मन पर आता हूं मन ही डाक्टर हैं हमें मन से स्वस्थ रहना है हमेशा पोजिटिव सोचना है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या समाचारपत्र कि कोरोनावायरस रोगियों के आंकड़े नहीं देखना हैं शमशान घाट कि तस्वीरें विडीयो नहीं देखना हैं आप एकिन मानिए कोरोना हमसे दूर दूर भागेंगे।

धन्यवाद यह लेख आपको कैसा लगा विचार व्यक्त करना 






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Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

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