काल गर्ल बेव सीरीज स्टोरी भाग 05


 भाग ०४से आगे 

बूढ़ा मंत्री फिर आया था हाल में महफिल सजी हुई थी मध्यम आवाज में संगीत बज रहा था वह मदहोश होकर झुम रहा था थिरकने लगा था करूणा कैबरे डांस कर रही थी देह पर नाम मात्र के वस्त्र थें कमर मटक रही थी सीने पर सुडोल सुगठित उरोज ऊपर नीचे हो रहे थे तभी बूढ़े मंत्री जी का मोबाइल फोन चिंघाड़ उठा था जो उसके खास आदमी पी ए का धा उसने कि आवाज को कम करके हैलो हैलो कहा दूसरी ओर से दुखित खवर आई थी कि नागपाल का हार्ट अटेक से निधन हो गया था थोड़ी देर तक वह हतप्रभ रह गया था फिर उसने संगीत कि आवाज वापिस यथास्थिति कर के नाचने लगा था कुछ देर बाद थककर सोफ़ा पर बैठ गया था थोड़ी देर आराम कर के उसने करूणा को गोदी में बैठा लिया था उसकि सुन्दरता का बखान कर के उस से एकाकार हो गया था आधे घंटे बाद कुत्ते जैसा हांफने लगा था सांस दुरस्त होते ही उसने करूणा से कहा था कि नागपाल अब इस दुनिया में नहीं है वह हार्ट अटैक में चला गया यह दुखदाई खवर सुनकर वह अट्टहास कर हस पड़ी थी फिर अच्छा रहा साला चला गया मेरी मजबूरी का बहुत ही फायदा उठाया हा हा हा भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं वह कुछ देर तक पागल के समान हंसी थीं  अब मैं आजाद हूं आजाद पंछी कि तरह आसमान में उड़ सकतीं हूं हट बे बुड्ढा मंत्री अब कभी मत आना फिर नही ले तूं तो भले हीं बुड्ढा हैं परन्तु तेरी हड्डियों में बहुत जान हैं थका कर रोम रोम तृप्त कर देता है तूं तो पुराने चावल जैसा है रै कसम से बहुत मज़ा देता है पर तेरे सिर पर बाल हा हा हा तेरे सिर पर बाल तों गधे जैसे गायब हो गए हैं टकला टकला वह मंत्री के सिर पर नागाणा जैसी हाथों से थपकियां दें रहीं थीं बूढ़ा मंत्री ने कहा था तूं तो पागल हो गई है करूणा अच्छा चलता हूं मंत्री के जातें ही उसने हलक में दो लार्ज पैग गटक लिए थें आज उसके मन में शांति थीं खुशी थी नागपाल के स्वर्गवासी होने पर फिर वह निंदा देवी के आगोश में समा गई थी ।

सुबह जल्दी उठकर वह उगते सूर्य को समुद्र में देखने के लिए तट पर पहुंच गई थी तट पर सैलानी कि भीड़ थी ।

 टहलने वाले लोग कोई भाग रहा था कोई योगा कर रहा था तब कोई अपने आप ठहाका लगा कर हस रहा था कोई कुत्ते को टहला रहा था परन्तु वह तो एकटक होकर अरुणोदय को देखकर रोमांचित हो रही थी सात रंगों में रंगे हुए वह धीरे धीरे सागर से वाह्य आ रहें थी ताजी उर्जा उमंग के साथ मानों वह जैसे कह रहे हों कि अस्त होने के बाद भी उदय होता है जैसे कह रहे हों कि कोई खास बिछुढ जाता है तब दूसरा आ जाता है जैसे कि कह रहे हों कि करूणा तूं चिंता मत कर तेरा मुश्किल समय जल्दी ही निकल जाएगा तेरा हमसफ़र तुझे चाहने वाला राजकुमार जल्दी ही किसी दूसरे रूप में तेरे पास आ जाएगा तुझे फिर से सच्चा प्यार मिलेगा वह ख्यालों में खोई हुई थी तभी पीछे से किसी ने उसे टोका था अरे आप फिर वापस ... अब कृपया करके लहरों के अंदर मत जाना आवाज को सुनकर वह चोक उठीं थी पलटकर देखा यह तो वही उसे बचाने वाला था वही बढ़ी हुई दाढ़ी बढ़े हुए बाल टपोरी जैसे कपड़े तपाक से कहा उस दिन आपने जो मुझे नया जीवन दान दिया था आप को धन्यवाद भी नहीं दे पाईं थीं यकिन मानिए में वापस आई थी परन्तु आप मुझे नहीं मिले थें आप का बहुत बहुत धन्यवाद !

धन्यवाद से काम नहीं चलेगा मिस आपको गर्मागर्म इमरती जलेबी चाय पिलानी पड़ेगी दोनों पास ही चाय नाश्ता की दुकान पर पहुंच गए थे सभी सामग्री पार्सल करा कर रेत पर बैठ गए थे गर्मागर्म इमरती जलेबी के साथ बातचीत होने लगी थी दोनों ही एक दूसरे को जानना समझना चाहते थे सुना है कि आप  चित्रकार हैं बहुत सुंदर पेंटिंग बनाते हैं ।

जी पर कहीं अटका हूं दरअसल में जिस स्वप्न सुंदरी कि पैटिग तेयार कर रहा हूं वह आप जैसी हैं अद्भुत रूप सुंदरी समुद्र कि लहरों में अठखेलियां करती हुई  कवियों जैसे लहज़े से कहा था अच्छा आज पता चला कि में किसी चित्रकार के ख्यालों में उसकि कल्पना में भी हूं अच्छा लगा फिर पता चला कि में स्वप्न सुंदरी भी हूं अच्छा लगा वह कुछ और कहना चाहतीं थी जैसे कि कुछ कामुक पुरुष के लिए तो में उनके लिए कामुक सिसकारियां कामुक कल्पनाएं ही हूं सिर्फ भोग कि वस्तु विस्तर पर नोचने वाली वस्तु .... उनके बीच बहुत सारी बातें होती रहीं थीं तभी उस नौजवान चित्रकार ने कहा बैसे आप क्या करतीं हैं जी में मनोरंजन कंपनी में कस्टमर्स केयर के पद पर कार्यरत हूं मेरा काम कस्टमर का मंनोरंजन करना ही है फीकी मुस्कान से कहा था ।

जल्दी ही अगला भाग लिखना जारी ...
















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Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

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