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काल गर्ल बैब स्टोरी भाग 07

 उसने चाय बना दी थी दोनों ही नीचे चटाई पर बैठकर चाय कि चुस्कियों लें रहें थें व एक दूसरे को निहार रहे थे कुछ देर बाद विनय कुमार ने कहा था कि आप बुरा नहीं माने तब में आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी पेंटिंग जो आप देख रहीं हैं वह अधूरी है मैं उस पेंटिंग को आपके सहयोग से ही पूरा कर पाऊंगा जैसे कि गुलाबी शुष्क अधर , उन्नत वक्ष,पतली कमर,कमर वह फिर कुछ देर के लिए नग्न हो सकती है मेरा मतलब.... करूणा यूं तो सैकड़ों बार अलग अलग पूरूसो के साथ नग्न हो चुकी थी लेकिन उसे न जाने क्यों आज शर्म आ रही थी करूणा ने सालीनता से जी नहीं  विनय कुमार को शायद जी नहीं जबाब कि उम्मीद नहीं थी उसका चेहरा उदास हो गया था कुछ सोचने लगा था तभी करूणा ने कहा था कि आज नहीं फिर कभी अच्छा आज आप मेरे साथ मेरे फ्लेट पर चलेंगे सहसा ऊसे याद आया था कि आज तो उसकी होटल ब्लू रोज में फुल नाइट कि बुकिंग फुल सर्विस के साथ थी पैसा भी लाखों मिल रहा था उसने मोबाइल निकाल कर संबोधित पुरूष को तीन दिन बाद मिलने का यू कहकर कि वह महीने से हैं जैसा आप चाहते हैं बैसी सर्विस नहीं दे पाऊंगी इसलिए तीन दिन बाद व्हाट्सएप पर मैसेज भेज दिया था प्रत

अटूट विश्वास इंसान जानवर कि कहानी

<> अर्ध रात्रि का समय आसमान में तारे टिमटिमाते हुए अपनी आलोकित आभा से शीतलता बिखेर रहे थे ऐसे ही बेला में कोरोनावायरस के कठिन समय में प्रवासी मजदूरों के जत्थे भूख प्यास पुलिस प्रशासन से जूझते हुए अपनी मंजिल कि और कदम ताल मिलाकर चलते हुए जा रहे थे इन्हीं के बीचों-बीच चल रहे थे दो मुसाफिर जो जम्मू से बुन्देलखण्ड अंचल जा रहे थे जिन्होंने सेकंडों किलोमीटर कि यात्रा पूरी कर ली थी  अभी भी हजारों किलोमीटर कि यात्रा बाकी बची हुई थी चलिए आप को दोनों 

इन्सानी भावनाओं से भरा हुआ स्वार्थ राग द्वेष अच्छा बुरा गिरगिट लोमड़ी  नाग जैसे जानवरो के गुणों को धारण करने वाला ख़ैर इस आपाधापी वाले आर्थिक युग में यह गुण तो लगभग लगभग-लगभग सभी मनुष्यों में समान रूप से पाए जाते हैं चलिए अब कहानी शुरू करते हैं ।
पड़ोसी देश कि सीमा  सेे.कोरोनावायरस ने अपनी दस्तक दे दी थी मिडिया के हवाले से वहां पर जन मानस बेहाल था कोरोनावायरस महामारी  ने अपना आवरण पूरी तरह से ओढ़ लिया था हजारों जन-मानस अनायास ही काल के गाल में समा गए थे वहां कि सरकार भी  लगभग-लगभग नतमस्तक हो कर त्राहि-त्राहि मान कर रहीं थीं ऐसे समय में चीन के ग्वांगझू प्रांत को लॉक डाउन करना पड़ा था भारत सरकार बड़ी बारीकी से नजर रख रही थी लाख सावधानी के बाद भी भारत में  कोरोनावायरस ने अपनी घुसपैठ कर ली थी ऐसे में सरकार को सख्त  लोक डाउन पालन करने का निर्देश देना पड़ा था चोबीस मार्च बीस सौ बीस को रात्रि बारह बजे से रेल मार्ग सड़क मार्ग दो पहिया वाहन साईकिल हबाई मार्ग सब बंद हो गये थे जो जन मानस देश के जिस जिस राज्य शहरों में थे वहीं फंस गए थे हालांकि सरकार बार बार आव्हान कर रहीं थीं कि राज्य सरकार आप सभी कि हर प्रकार से मदद करेंगी पर लाखों करोड़ों कि तादाद में प्रवासी मजदूरों कि सहायता करने में सरकारें शाय़द असफल हो रही थी ऐसे में प्रवासी मजदूरों ने अपने अपने गांव लौट जाने का फैसला किया था ।
कृष्णा जम्मू में कंट्रक्शन साइट पर मजदूर था कंपनी ने सभी मजदूरों के लिए झुग्गियों का इंतजाम किया था कृष्णा कि भी झुग्गी थी सुबह शाम अपने हाथ से खाना पकाता था खाना खाने के बाद जो भी भोजन बचता था ऐक आवारा कुत्ते को खिलाता रहता भोजन प्यार से लबरेज होकर वह कुत्ता मोटा तगड़ा हो गया था कृष्णा प्यार से उसे शेरू कहकर पुकारता और शेरू दूर से ही उसकी आवाज पर दौड़ कर आ जाता कभी पूंछ हिलाकर अपने प्यार अपनापन को महसूस कराता तब कभी मुंह से आवाज देकर कभी दौ पैरों पर खड़े होकर  कभी कभी कोई भी साथी कृष्णा से मस्ती कर के उसे दबोचने कि कोशिश करता तब शेरू अपनी रोब दार गुर्राहट के साथ अपने तीखे दांत दिखाकर खबरदार करता था आलम यह था कि कृष्णा भले ही दस माले पर काम कर रहा हो शेरू दिन में चार बार जीने से ले भरकर देखने जाता उस के प्रेम को देखकर इंजीनियर सुपरवाइजर वाह वाह कहते  ख़ैर समय के साथ-साथ वह दोनों अटूट विश्वास के धागे में बंध गये थे पर अब इस विश्वास कि परीक्षा कि घड़ी नजदीक आ रही थी लोक डाउन के कठिन समय में  कृष्णा ने अपने गांव लौट जाने का फैसला लिया था कृष्णा जैसे ही अपना बैग पीठ पर बांध कर निकला था शेरू समझ गया था
कृष्णा :- पीठ पर हाथ फेरते हुए अच्छा दोस्त चलता हूं
शेरू:- कू कू कू कहकर प्यार से पूछ हिलाकर कुछ कह रहा है
कृष्णा :- अरे भाई क्या बोल रहे हो देखो बहुत दूर जाना है साथी आगे निकल गए हैं इतना कहकर आगे बढ़ जाता है
शेरू:- कभी पीछे तब कभी आगे चल रहा है
कृष्णा :- लगता है तू मुझे कुछ दूर तक छोड़ने जा रहा है ठीक है भाई आगे से बापिस आ जाना
शेरू :- पीछे मुड़कर ओ ओ कर रहा है
कृष्णा लगभग दो किलोमीटर दूर हाईवे रोड पर आ जाता है बीच बीच में शेरू को पत्थर मारकर बापिस आने का प्रयास करता है पर शेरू आता नहीं इसी बीच साथी मजदूर टृक से बातचीत करते हैं भाड़ा तय किया जाता है सभी टृक में सवार हो जाते हैं टृक चलने लगता है कुछ देर तक शेरू पीछे पीछे भागता हुआ दिखाई देता है फिर टृक कि स्पीड बढ़ जाती है कुछ किलोमीटर दूर पुलिस चेक पोस्ट पर वाहन कि लाइन लगी रहती है ऐक ऐक टृक को चेक किया जा रहा है पुलिस टीम टृक कि तिरपाल हटा कर बारीकी से निरीक्षण कर रहीं हैं अधिकांश में मजदूर निकल रहें हैं पुलिस टीम लाठीचार्ज कर रहीं हैं समाजिक दूरी का पाठ पढ़ाया जा रहा है संदिग्ध कि स्कैनिंग कि जा रही है कृष्णा का ट़क आख़री में खड़ा था उसके ट़क का भी निरीक्षण किया जा रहा है पुलिस टीम ऐक ऐक को नीचे उतार कर दंडात्मक कार्यवाही कर रहीं हैं पुलिस वाला जैसे ही लाठी लेकर कृष्णा कि और झपटा तभी शेरू 
आ गया हुआ था यह क्या पुलिस कि लाठी शेरू ने मुंह में दबा रखी थीं इस दृश्य को देखकर पुलिस कप्तान भी आवाक रह गया था शेरू कृष्णा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है उसकी गर्जन वातावरण में सुनाई दे रही है
पुलिस कप्तान:- किसका है यह कुत्ता जल्दी बताओ
कृष्णा:- हजूर पता नहीं
पुलिस कप्तान :- फिर यह तेरे चारों ओर चक्कर क्यों लगा रहा है सच सच बताना बर्ना खाल खींच कर भूषा भर दूंगा 
कृष्णा:- हजूर  आवारा था बचा खुचा भोजन खिलाने लगा था सच कहता हूं हजूर मैंने पाला नहीं में तो ट़क में सवार होकर आया था आप सभी से पूछताछ कर सकते हैं
पुलिस कप्तान :- हैरान होकर ट़क में सवार होकर कया कुत्ता ट़क में आया था
कृष्णा :- जी नहीं श्री मान
पुलिस कप्तान:- देख भाई इसे शांत करो तुझे कोई भी नहीं मारेगा
कृष्णा :- शेरू अब शांत हो जा भाई देख साहब ने बादा कर दिया है उसकी पीठ मुंह पर हाथ फेरते हुए कहता है शेरू शांत हो जाता है
पुलिस कप्तान:- अब समझा तुम लोग कितनी दूर से आए हो
कृष्णा:- हजूर दस बारह किलोमीटर
पुलिस कप्तान :- हूं हूं इसका मतलब यह पीछे पीछे भागता हुआ आया है शाबाश शाबाश फिर जेब से पांच सौ रुपए का नोट निकाल कर कृष्णा को दे कर कहता है यह मेरी और से इनाम इस इंसानी वफादार दोस्त को रास्ता में बिस्किट खिलाते जाना और हा सेनेटाइजर मास्क पहनकर जाना अपना मोबाइल नंबर देकर कहीं भी कोइ परेशानी हो मुझे फोन करना पुलिस कप्तान शेरू कि पीठ मुंह पर हाथ फेरते हुए कहता है
ऐक इंसान और जानवर कि कठिन समय कि कठिन यात्रा शुरू हो गई थी मंजिल हजारों किलोमीटर दूर थी कोरोनावायरस के डर से गांव कस्बों में प्रवेश वर्जित था कहीं कहीं समाजसेवी संस्थाएं प्रवासी मजदूरों को खाना पानी का पुनित नेक काम कर रही थी कृष्णा के पास दोहरी पेट भर भोजन कि चुनौती थी जो भी खाने का पैकेट मिलता था कुछ खुद खाता बाकी शेरू को खिला देता था कभी कभी दोनो को पानी भी नसीब नहीं होता था रास्ते में गांव कस्बे के कुत्ते अलग से शेरू को चुनौती देते शेरू हर चुनौती को स्वीकार कर अपनी भाषा में जवाब देता था हाईवे पर धानडयो कि कारें ई पास के साथ तेज़ गति से दोढकर पैदल चलने-फिरने मजदूरों के मुंह पर तमाचा जड़ रहीं थीं कभी कभी पुलिस प्रशासन कि कारें सायरन बजाती हुई अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहीं थीं वातावरण में भय का माहौल था बिना मास्क पहने जीवन दायिनी प्राण बायु से भी डर लग रहा था ऐसे ही कठिन समय में दस दिन कब निकल गये थे पता भी नहीं चला था अप़ेल माह कि तेज़ धूप भरी ऊमस में शरीरों से बदबूदार सुगंध निकल रही थी नहाना धोना नहीं हो पा रहा था बस सभी प्रवासी मजदूरों का ऐक ही लछय था कि कैसे भी करके अपने गांव जिन्दा पहुंच जाए कुछ मजदूर तो एक्सीडेंट में काल के गाल में समां गए थे कुछ भूख प्यास से तड़पकर दूसरे लोक में पहुंच गए थे ऐक दिन तो कृष्णा को कहीं भी भोजन नसीब नहीं हुआ था हाईवे पर कूछ दयावान किसानों पानी का इंतजाम कर रखा था कृष्णा ने भी अपनी बोतलें भर कर रख ली थी ऐक बोतल को काटकर शेरू के पानी पीने का बर्तन बना रखा था रात्री के बारह बज रहे थे शरीर थककर चूर हो गया था ऐसे में ऐक पेड़ के नीचे आराम करने का निर्णय किया था
कृष्णा :- थक गया हूं दोस्त अब नहीं चला जाता
शेरू:- पूछ हिलाकर कू कू कू कू कहकर
कृष्णा :- देख भाई आज़ तो खानें के लिए कुछ भी नहीं है चल आज पानी में ही काम चला लेते हैं शेरू के लिए बर्तन निकाल कर पानी पिलाता है फिर खुद पीता है फिर कहता है भाई में तो अब सोता हूं बैग का तकिया लगा कर लेट जाता है देख दोस्त जरा ध्यान रखना जंगल परदेश का मामला है
शेरू :- पूछ हिलाकर पेड़ के आस पास चक्कर लगा कर निरीक्षण करता है
तड़के कृष्णा कि तेज फूंस कार कि आवाज कानों में गूंज रही थी ऐक झटके से नींद खुल गई थी देखता है कि ऐक काला नाग जो शायद कृष्णा को डसने के इरादे से आया था उससे शेरू लड़ रहा था उसकी पूंछ पकड़ कर पीछे खींच रहा था दोनों ही अपने अपने दांव-पेंच अजमा रहें थे संघर्ष बढ़ता जा रहा था कभी शेरू नाग पर हावी होता तब कभी नाग शेरू पर इस दृश्य को देखकर कृष्णा के मुख से चीख निकल गई थी हाईवे पर चलते हुए मजदूर भी जमा हो गए थे शेरू ने नाग के शरीर को लहूलुहान कर दिया था नाग मरणासन्न अवस्था में पहुंच गया था पर यह क्या शेरू भी जमीन पर गिर गया था अपनी अधखुली आंखों से कृष्णा कि और टकटकी लगाए देख रहा था शायद उसे नाग ने डस लिया था लिया था जैसे अपनी अधखुली आंखों से कह रहा था देखो दोस्त मैंने अपना अटूट विश्वास कायम रखा शायद जैसे कह रहा हों मैंने अपना रोटी का कर्ज अदा कर दिया है शायद जैसे कह रहा था कि इंसान इंसान का वफादार नहीं लेकिन हम जानवर आज़ भी इंसान के सच्चे दोस्त  है ओर कुछ समय के अंतराल में नाग शेरू बेदम हो गये थे कृष्णा कि अश्रुपूरित धारा बह रही थी कृष्णा सिसक रहा था बड़बड़ाने लगा था हे कोरोनावायरस मुझे क्यों नहीं अपनी चपेट में लिया हे नाग पहले मुझे डस लिया होता फिर मेरे दोस्त को दोस्त को दहाड़ लगा कर रो रहा था आस पास खड़े मजदूर दिलाशा दें रहें थे पर उसके आंखों से अवरल अश्रु धारा बह रही थी बह रही थी बह रही थी जो शायद ऐक अटूट विश्वास बंधन कि अश्रु धारा थी ।।

Comments

  1. इंसान और जानवर पर आधारित है यह कहानी कहते हैं कि कुत्ता इंसान का सबसे अच्छा दोस्त है जो भाव से ही सब कुछ समझ जाता है दूसरी ओर इंसान को इंसान अच्छा नहीं लगता भाई भाई में प्रेम नहीं है कोई किसी का वफादार नहीं है क्योंकि यह धन का युग है

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बड़ा दिन कविता

 आज तो बड़ा दिन था  पर पता नहीं चला बिना हलचल के ही गुजर गया रोज कि भाती सूरज उषा के साथ फाग खेलता आया संध्या के साथ आंख मिचौली करता चला गया चतुर्थी का चंद्रमा उभरा अपना शीतल प्रकाश बिखेर चल दिया तारों कि बारात आकाश में उतर मोन दर्शक बन चहुं ओर बिखर गई रोज कि भाती लोगों कि भीड़ अपना अपना कर्म कर सो गई पंछियों के समूह प्रभात के साथ कलरव का गान कर संध्या आते गुनगुनाते चहचहाते पंखों को फड़फड़ाते घोंसलों में चलें गये  हर दिन बड़ा दिन ऐसा कहते हमें समझाते गये।।

तुम कहां हो

 तुम कहां हो? कहां नहीं हों ? दोनों अनंत काल से चले आ रहें शाश्वत प़शन है इनके उत्तर भी अनंत काल से  शाश्वत हैं। प़भु के बगैर होना तो दूर कल्पना भी संभव नहीं तुम सर्वत्र हो प़भु कण कण में समाए हों प़भु तुम यहां भी हों वहां भी हों आपके बिना कहते हैं कि  पत्ता भी नहीं हिल सकता मंद मंद शीतल पवन नहीं वह सकतीं कल कल करती नदियां नही बह सकतीं हिलोरें मारकर विशाल सागर  अपनी सीमा में नहीं रहता न ही सूर्य अपनी तपिश बिखेर कर हमें रोशनी देता न ही चांद दीए जैसी रोशनी से हमें  शीतलता देता  पूछता हूं प़भु तुम कहां हो। हे प्रभु जब से हम मानव कि अगली पीढ़ी से लेकर  आखिर पीढ़ी तक यह प़शन हमें तबाह किये हुए हैं  बर्बादी के द्वार पर खड़ा किए हुए हैं हे प्रभु प़शन अटपटा सा है पर शब्दों कि गूंज उत्तर के रूप में होती है पर परतीत नहीं होती  हे प्रभु कभी कभी लगता है कि आप हमारे अन्तर मन में हों  तब कभी कभी लगता है कि आप कण कण में हों  तब कभी कभी लगता है कि दीन हीन लाचार अपाहिज मानव  पशु पंछी कि देखभाल करने में  हमें भूल गए हों  लेकिन यह सच है कि प़भु आप तो हो  पर आप कहां हो,??

ससुर जी का दूसरा विवाह समाजिक कहानी

 आजकाल नीता ससुर जी के व्योहार में अलग तरह का परिवर्तन देख रही थी जैसे कि जब वह किचन में खाना पकाने में व्यस्त रहतीं तब अनावश्यक ही वह किसी न किसी बहाने से आ जाते व जब वह बाथरूम में नहाने जाती तब उसे लगता था कि जेसै कोई दरवाजे कै ऊपर लगे रोशन दान से झांकने कि कोशिश कर रहा है व जैसे कि जब वह पति के साथ अंतरंग पलों में होती तब खिड़की के पास कोई खड़ा होकर अन्दर के दृश्य को देखने कि कौशिश कर रहा होता हालांकि उसने यह सब अपने मन का बहम समझ कर दिमाग से निकाल दिया था परन्तु हद तो तब हो गई थी कि वह बेडरूम में कपड़े बदल रही थी तभी ससुर जी ने गेट को हल्का सा धक्का देकर अन्दर झांका था उसने हड़बड़ी में बैड सीट से अपनी देह को ढक लिया था वह कुछ छड़ों के लिए किरतबय मूड होकर खड़ी रह गई थी खैर कुछ देर बाद कपड़े पहन कर वह डाईंग रूम में पहुंची थी ससुर जी टेलीविजन पर समाचार देख रहे थे उसने कहा कि आप को कुछ काम था क्या आप को दरवाजा खटखटा कर आना चाहिए था में कुछ दिनों से आप के अजीब व्यवहार को देख रही हूं छी छी आपकों शर्म भी नहीं आतीं ऐसी छिछोरे पन दिखाने में मैं आपकी बहू हूं और बहू बेटी के समान होती है समझें