मेरे गांव तुम जब आओगे
तब वस गांव को देखते रह जाओगे
फिर तुम्हें गांव से लगे पहाड़ पर लें चलुंगा
वहां से दिखाई देंगे हरे भरे खेत
सामने कल कल करती वहती नदी
दूसरी ओर भरा सरोवर
हमारे गांव के छोटे छोटे कच्चे पक्के घर
उनके आस पास घूमते फटे कपड़े में घूमते
मेहनत कश नर
सुबह जब आप हमारे साथ घूमने जाओगे
तब उषा कि लाली
दिल खोलकर आप का स्वागत करेगी
गांव की गरीबी कबाड़ पिछड़ा पन
अ शिक्षा तुमसे सवाल करेगी
दिन रात श्रम को समर्पित फिर भी
अभावों के बीच गुजरती जिदंगी
तुम्हें सोचने को बाध्य करेगी ।
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