हाथ पांव का अभाव
इन झाड़ो को हैं सता रहा
अपने मिट जाने का
नव भाव सता रहा
तब आस्तिक हो
सबके सब प़ाथना करने लगे।
प्रार्थना खाली नहीं जातीं
यह सब कहने लगे
आवश्यकता से जूझता उसी समय
कुनडवा आया
ल लहराते झाड़ो को काट काट
कर मुस्कुराया भाग्यवादी पुरूषार्थ हीन नै
अपने साथ झाड़ को मिटाया
तभी सपूत बांस ने
कुनडवा को ललकार कर कहा
बोला अब तुम मेरे करीब भटक नहीं पाओगे
क्यों कि अब तुम हमें पुरूषार्थ से
विश्वास से सद्भावना से
भरे इंसान के बीच पाओगे
वहां तुम्हारे जैसे छल कपट बेइमान का
नामों निशान मिटा देंगे
कुनडवा तुम्हारे संरक्षक तक से कह देंगे
जो हम में प्रवेश कर
हमारे ही साथ विश्वासघात कर
चुपचाप हमारे ही दामन पर दाग लगा जातें
देश में गद्दार
कुल में कपूत
बांस भिरे में कुनडवा
पर हम क्या सभी लजा जाते ।।
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