सूर्य दिशा कि पहचान क्या
सूर्य उदय से है
सूरज नहीं निकलता
नहीं आता
चांद का ही राज रहता
तब क्या सूर्य दिशा कि पहचान
नहीं हो पाती।
प्रश्न है यह
तुम्हारे अतीत से
तुम्हारे वर्तमान से
तुम्हारे भविष्य से
क्यों कि इसका उत्तर
सर्वत्र फूलों में हैं
फूलों का पराग लेते
भंवरों से है
कल कल बहती नदी
ऐक असान लगा
समाधि में बैठे पहाड़ पर है
सर सर बहती हबा
धक धक जलती अग्नि
तारों के साथ
खेलता कूदता चांद चांद के साथ
आंख मिचौली खेलता आकाश
नदियों कि राहें बनाने वाली
पर्वत को पेड़े को
हमको तुमको
जो हैं सभी को
अपनी छाती से चिपकाने वाली
चुपचाप फूलों के
बागों कि बहारों से
हर्षित होने वाली
वह धरती मां
यह सब साछी है
हमारे प्रश्न के भी
उत्तर के भी
साछी यही होंगे।
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