सांध्यकालीन समय था वातावरण में हल्का हल्का अंधेरा छा रहा था पंछी टोलियां के साथ आपस में कोई गाना गा कर या फिर यूं कहें कि संगीत की कोई धुन अलाप कर पंखों को फेला कर अपने अपने घरों को लौट रहे थे उनका उड़ने का दृश्य बहुत ही मनमोहक लग रहा था ऐसे ही समय में नकुल नाथ पत्नी व बच्चों से मिलने के लिए दूसरे सहर से आ रहा था दोनों शहरों के बीच कि दुरी लगभग दो सो किलोमीटर होगी फिर भी नकुल नाथ को यह दूरी दस पांच किलोमीटर ही लग रही थी उसके सामने पत्नी बच्चों के चेहरे दिखाई दे रहें थे इसलिए वह मस्ती से कार ड्राइव कर जल्दी से जल्दी उनके पास पहुंच जाना चाहता था सांध्य कालीन समय में यों तो सड़क पर आवागमन कम हो जाता है पर आवारा पशु सड़क पर पैर पसार कर आराम करने लगते हैं तब वाहन चालक को सावधानी बरतने पड़ती है ऐसे ही वह रात्रि ग्यारह बजे बंगले पर पहुंचा था हालांकि वह हमेशा सप्ताहिक अवकाश पर ही पत्नी बच्चों से मिलने आता था लेकिन इस बार ऐक दिन पहले ही आकर उन्हें सरप्राइज देना चाहता था कार पार्क कर उसने डोरबेल बार बार बजाई थी लेकिन दरवाजा नहीं खुल रहा था उसने सोचा कि शायद पत्नी गहरी नींद में सो रही है तभी उसे ख्याल आया कि उसके पास चाबी है वह चाबी से दरवाजा खोल कर डाईंग रुम में पहुंच गया था बच्चे दीवान पर गहरी नींद में सो रहे थे फिर उसे बेडरूम से कुछ हंसने कि आवाज सुनाई दी थी जो कि किसी पुरुष कि थी उसका माथा ठनका था
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