पिछली तीन कोरोना लहर में बहुत सारे परिवारों ने अपनों को खोया किसी ने मां को तब किसी ने पिता,भाई बहिन पति पत्नी खोने वाले लोगों का दर्द कोई भी साझा नही कर सकता जानें वाले तो चले गए छोड़ गए यादें यादें ।

मिस्टर अजीत नौ सेना में अधिकारी थे जीवन के अनेक वर्ष पानी के जहाज, पनडुब्बी में व्यतीत हुए थे कभी कभी तो सागर कि अथाह गहराई में महीनों पनडुब्बी में समुद्री सीमा कि निगरानी करते रहते थे तब कभी समुद्र सतह पर जहाज के डेक पर खड़े होकर दूर दूर तक समुद्र ही दिखाई देता था कभी कभी कोई नटखट व्हेल मछली असीमित जल में गोते लगाते दिख जाया करती थी तब कभी दुश्मन देश के जहाज जो अपने देश कि सीमा कि निगरानी करते थे खैर समुद्र, जहाज,का, जीवन घर परिवार से अपने आप में अलग था जहा पर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था समय का उपयोग भी निश्चित था सहकर्मियों में महिलाएं भी थी उन्हें भी कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
मिस्टर अजीत कुछ महीने या फिर यूं कहें कि कुछ सप्ताह ही घर परिवार को दे पाते थे हालांकि वह शादीशुदा थें जीवन संगिनी भी समझदार पढ़ी लिखी खूबसूरत थी जो दो बच्चों कि देखरेख के साथ माता पिता का भी ख्याल रखती थी पति से दूर रहने कि उसे शिकायत तो थी कभी कभी वह कहती भी धी पर मिस्टर अजीत यह कहकर तसल्ली दे देते थे कि पगली कुछ ही सालों कि बात है रिटायर्ड होते ही तो घर पर हमेशा रहना है फिर देश सेवा से ही तनख्वाह मिलती है जिससे हमारा घर चलता है 
मिस्टर अजीत को सरकार ने इकतालीस साल कि उम्र में रिटायर कर दिया था अब वह हमेशा हमेशा के लिए परिवार के साथ रह सकते थें कुछ महीने ही वह रह पाए थे तभी कोरोना महामारी ने दवे पांव देश में प्रवेश किया था हालांकि पड़ोसी देशों में महामारी कोहराम मचा रही थी दूसरे देशों कि जन हानी देख कर सरकार बार बार सावधान कर रही थी मजवूर होकर सरकार ने घर बंदी करने का फैसला लिया था उस फैसले से हवाई जहाज,बस, रेलगाड़ी,कार मोटरसाइकिल, साईकिल, यहां तक कि बैलगाड़ी के चक्के जो जहां पर थें वही जाम हों गये थें साथ ही दो गज कि दूरी मास्क है जरूरी का भी सख्ती से पालन करने का कहा था परन्तु अफसोस जन समूह ने ध्यान नहीं दिया तभी तो हजारों परिवार लापरवाही के शिकार हो गए थे उसी लापरवाह में मिस्टर अजीत कि धर्मपत्नी भी अनायास ही काल के गाल में समा गई थी अब बच्चों के साथ माता पिता कि देखभाल उन्हें ही करनी थीं ।
पत्नी के यो अनायास ही चले जाने पर वह टूट गये थें उन्हें जीवन साथी कि जीवन पथ कि कठिन डगर पर कमी महसूस हो रही थी कुछ शुभचिंतकों ने पुनः शादी करने कि सलाह भी दी थी मित्रों कि नजर में कुछ तलाक शुदा, महिलाएं भी थी जो कि उनके हां कहते ही सहर्ष व्याह के लिए तैयार थी पर उन्होंने इस विषय पर गंभीरता से विचार किया था किशोर अवस्था में प्रवेश करते बच्चों का चेहरा सामने आ जाता था अपने सुख के लिए बच्चों को दूसरी माता के हवाले करने का मन नहीं हों रहा था  ।
एक दिन किसी मित्र ने सलाह दी थी कि एस्कार्ट सर्विस पर सर्च कर किसी लड़की या औरत से संपर्क कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हों कुछ घंटों के लिए एस्कार्ट सर्विस खुद ही होटल में रूम बुक करा देते हैं गोपनीयता का पालन करते हैं किसी भी को कानों कान खबर भी नहीं लगेंगी फिर क्या था मोबाइल फोन हाथ में था इंटर नेट पर सर्च किया बहुत सारी सेवाएं आ रही थी सभी में कालेज गर्ल, घरेलू महिला,देशी विदेशी कि लुभावनी फोटो थी व सभी कि अलग अलग फीसें थी साथ ही होटल के रूम का किराया भी एड था उन्होंने एक सुंदरी का चयन किया था चेटिंग कर के पहले दस हजार रुपए एडवांस फिर कुछ और सेवाएं कि फीसें लगभग पचास हजार रुपए एकाउंट से ओन लाइन जमा कर दिए थे तय समय तय होटल पर वह पहुंच गए थे काउंटर पर उन्होंने अपने नाम के रूम कि बुकिंग कि पूछताछ कि थी जो नहीं थी चेटिंग वाले सज्जन को बार बार चेट करने का प्रयास कर रहे थे परन्तु उनका नम्बर पोर्टल बन्द आ रहा था थक हार कर होटल से बाहर निकल कर उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हुआ था अब पछताने के अलावा कुछ भी नहीं था इसलिए सावधान रहें धोखा धडी से बचें ।
समाप्त यह कहानी कैसी लगी कमेंट करें।
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