Showing posts from May, 2023

मजबूर संध्या

संध्या आ गई पर आज सुहागिन नहीं है आज उसके चेहरे पर मुस्कान भरी लालिमा नहीं है  आज तो इन अभिमानी बादलों ने  त…

मेरा गांव कविता

मेरे गांव तुम जब आओगे तब वस गांव को देखते रह जाओगे फिर तुम्हें गांव से लगे पहाड़ पर लें चलुंगा वहां से दिखाई…

तारों का उदय

ऐक तरैया पापी देखें दो देखें चांडाल तीन तरैया राजा देखें  फिर देखें संसार सांझ के वक्त में रोज  ऐक तरैया देख…

चित्रकार कविता

तुम चित्रकार हों कोई कहता तुम कलाकार हो कोई कहता तुम अदाकार हो कोई कहता तुम संसार का सार हो में तो तुम्हें च…

छोटी सोच कविता

सागर से बाहर निकल मेंढक इत्तफाक से फुदकते फुदकते कुएं में आ गया आते ही नयी जगह देख घबरा गया  थोड़ी देर बाद स…

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