गायों का झुडं
गायों का झुडं जब टुन टुन धुन धुन किढ किढ सुन सुन की अनोखी आवाज करता एकाएक सामने आ गया । तो काफी…
गायों का झुडं जब टुन टुन धुन धुन किढ किढ सुन सुन की अनोखी आवाज करता एकाएक सामने आ गया । तो काफी…
तू रोज चाहे जब क्या बजाता है कौन सा राग छेड देता कोन से कलाकारों को ले मंच पर अवितरित हो नित नुतन स…
भोर का समय था दूर कहीं मंदिर कि घंटि के साथ शंख कि आवाज आ रही थी उसके कुछ ही देर बाद कहीं दूर मुर्गा बाग ल…
जब जब दादी ने अपने चश्मे को नाक पर रखा तब परिवार में बड़ा भूचाल आया था उस भूचाल को दादी जी ने अपनी सूझबूझ से…
वह भादो माह कि काली रात्रि थी आसमान में मेघ भीषण गर्जन करते हुए धरती पर कभी तेज तब कभी धीमी गती से पानी कि ध…
वह एक वर्षांत कि रात्रि थी आसमान में मेघ ढोल नगाड़ों के साथ उत्पाद मचा रहे थे रुक रुक कर बिजली चमक रही थी बा…
संध्या का समय था वातावरण में कोहरा छाया हुआ था ठंड में हाथ पैर कंपकंपा रहे थे किसान अपने खेतों के काम निपटा …