Showing posts from April, 2023

गायों का झुडं

गायों का  झुडं  जब   टुन टुन धुन  धुन  किढ किढ   सुन सुन  की अनोखी आवाज   करता  एकाएक सामने आ गया  । तो काफी…

तू अध्यात्म कविता

तू रोज चाहे जब  क्या बजाता है   कौन सा  राग  छेड देता  कोन से कलाकारों को  ले  मंच पर अवितरित हो नित नुतन  स…

दादी कि सूझबूझ

भोर का समय था दूर कहीं मंदिर कि घंटि के साथ शंख कि आवाज आ रही थी उसके कुछ ही देर बाद कहीं दूर मुर्गा बाग ल…

दादीजी का चश्मा

जब जब दादी ने अपने चश्मे को नाक पर रखा तब परिवार में बड़ा भूचाल आया था उस भूचाल को दादी जी ने अपनी सूझबूझ से…

डबल बेड

वह भादो माह कि काली रात्रि थी आसमान में मेघ भीषण गर्जन करते हुए धरती पर कभी तेज तब कभी धीमी गती से पानी कि ध…

कमली कि व्यथा

वह एक वर्षांत कि रात्रि थी आसमान में मेघ ढोल नगाड़ों के साथ उत्पाद मचा रहे थे रुक रुक कर बिजली चमक रही थी बा…

वफादार पत्नी

संध्या का समय था वातावरण में कोहरा छाया हुआ था ठंड में हाथ पैर कंपकंपा रहे थे किसान अपने खेतों के काम निपटा …

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